दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में रहने वाली इकरा जान (20 वर्ष) ने ट्राउट मछली का पालन शुरू किया है। इसमें पांच लाख का खर्च आया, जिसकी आधी रकम जम्मू-कश्मीर सरकार से योजना के तहत मिली। एक सरकारी कॉलेज से स्नातक करने वाली इकरा बताती हैं, ट्राउट मछली 400-500 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकती है। जिससे मुझे हर साल छह लाख की आमदनी हो जाती है। इसी तरह, अनंतनाग जिले के आशाजीपोरा में रहने वाली गौहर जबीन (24 वर्ष) ने भी कीवी की खेती शुरू की है। वह जानती हैं कि घाटी में कम पैदा होने से इसकी बाजार में कीमत ज्यादा है।
शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि से कृषि में परास्नातक कर रहीं गौहर बताती हैं, मुझे जानकारी है कि पौधों को कैसे उगाया जाता है। मैं इन्हें एक ग्रीन हाउस में उगाती हूं। मुझे बचपन से ही खेती का शौक रहा है, वर्ष 2021 से मैंने कीवी की खेती शुरू कर दी। इस खेती से दस लोगों को रोजगार मिल रहा है। कश्मीर में फलों का व्यवसाय अच्छा होने से कीवी का उत्पादन करना अच्छा रोजगार है। वह कहती हैं, मुझे परिवार का भी पूरा साथ मिल रहा है। मैं कीवी का उत्पादन करके कुछ व्यापारियों को बेचती हूं, जो आगे अलग-अलग बाजारों में भेजते हैं।
खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए मिल रही है सरकारी सहायता।
- फोटो : गांव जंक्शन
गौहर जबीन युवा लड़कियों को सलाह देती हैं, सरकारी नौकरी के पीछे भागने से बेहतर है कि अपने व्यवसाय को शुरू किया जाए। हम लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए अलग-अलग व्यवसायों से जुड़ना होगा। खेती से जुड़ने में सिर्फ पैसा ही नहीं मिलता, बल्कि अवसाद और एंजाइटी से बचते हैं। पारंपरिक खेती के बजाय ट्रेनिंग लेकर अगर फल उत्पादन से जुड़ा जाए तो काफी आमदनी होती है।
कश्मीर के बाटागुंड वेरिनाड में रहने वाली 25 साल की उर्फी जान, 25 लड़कियों के साथ मसालों की खेती करती हैं, और पैकिंग करके बाजारों में बेचती हैं। परास्नातक तक की पढ़ाई कर चुकीं उर्फी बताती हैं, ये 25 लड़कियां हमारे साथ हमारी ही जमीन पर खेती करती हैं। हम हल्दी, मिर्च, अदरक, सौंफ, घी, शहद, अचार और राजमा आदि बेचते हैं। हमारा उद्देश्य है कि लोगों तक शुद्ध उत्पाद पहुंचाए जाएं, ये उत्पाद आर्गेनिक हैं।
इसी तरह, जब वर्ष 2020 में कश्मीर में इंटीग्रेटेड डेयरी डवलपमेंट स्कीम शुरू की गई, तब शोपियां जिले में रहने वाली आयशा जान (22 वर्ष) ने इस बारे में अपने पिता से बात की और अपना डेयरी फार्म शुरू कर दिया। दिसंबर 2020 में पंजाब से पांच एचएफ गाय चार लाख में खरीदीं। जिसमें से 2 लाख की सरकार से सब्सिडी मिल गई। आज आयशा अपने पूरे परिवार के साथ डेयरी चला कर हर महीने करीब 70,000 रुपये कमा रही हैं। स्नातक पूरा कर चुकीं आयशा बताती हैं, हमने 50,000 में मिल्किंग मशीन भी खरीदी, जिसमें से सरकार ने 50% प्रतिशत की सब्सिडी दी है।
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।