Home›Apna Paisa›
Example A Co Operative Bank Promoters Were Women From 36 Villages Application Was Made Through Thumb Impres
मिसाल : एक सहकारी बैंक, 36 गांवों की महिलाएं थीं प्रमोटर्स, अंगूठा लगाकर किया आवेदन, पूरे हुए 25 साल
चेतना गाला सिन्हा, संस्थापक-अध्यक्ष, माण देशी महिला सहकारी बैंक, सातारा
Published by: Umashankar Mishra
Updated Tue, 14 Nov 2023 12:15 PM IST
सार
सतारा जिले के छोटे से गांव से शुरू हुए महिलाओं के इस बैंक की आज आठ शाखाएं और करीब दो लाख ग्राहक हैं। यहां महिलाएं बेहद छोटी रकम जमा कर सकती हैं, व्यवसाय के लिए कर्ज ले सकती हैं और पैसे जमा करके अपना भविष्य संवार सकती हैं।
बैंक ने सूक्ष्म-बचत उत्पाद तैयार किए हैं, जहां प्रतिदिन 10 रुपये जैसी छोटी रकम जमा कर सकते हैं।
- फोटो : सोशल मीडिया
करीब 30 साल पहले मैं महाराष्ट्र के सतारा जिले के म्हसवाड़ गांव में रहने लगी थी। गांव की महिलाओं से बात हुई तो पता चला कि वो भी मेरी तरह सोचती हैं और परिवार के लिए पैसे बचाना चाहती हैं। लेकिन, महिलाएं यह नहीं जानती थीं कि ये काम वो कैसे करें! यहीं से माइक्रो-फाइनेंस बैंक शुरू करने का विचार आया और 1997 में 'माण देशी महिला सहकारी बैंक' शुरू हुआ। निरक्षर महिलाओं द्वारा ग्रामीण महिलाओं के लिए शुरू किया गया यह बैंक 25 साल का हो गया है।
उपेक्षा से मिला रास्ता
एक दिन किसी महिला ने मुझसे संपर्क किया, जो कमाई के एक हिस्से को बैंक खाते में सहेजना चाहती थी, ताकि उसे ब्याज मिल सके। उस महिला की तरह कई अन्य महिलाएं भी बैंक खाते खोलना चाहती थीं। मैं क्षेत्रीय बैंकों में खाता खोलने के लिए उनके साथ गई। लेकिन, बैंकों ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। अधिकतर महिलाएं दैनिक मजदूरी करती थीं और हर दिन कमायी गई छोटी रकम बचाना चाहती थीं। इसी से मुझे उनके लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली।
आसान नहीं था आगाज
माण देशी सहकारी बैंक के प्रमोटर्स में सतारा और सोलापुर के 36 गांवों की अधिकतर निरक्षर महिलाएं शामिल थीं। 1995 में, 1100 महिलाओं ने अपने अंगूठे की छाप लगाकर प्रमोटिंग सदस्य के रूप में बैंक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया। लेकिन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इसे नकार दिया। मैंनें महिलाओं को पढ़ाना शुरू कर दिया। हमारा एक प्रतिनिधि मंडल आरबीआई के अधिकारियों से मिला, और उन्हें भरोसा दिलाया कि निरक्षर महिलाएं भी पैसे का हिसाब-किताब रख सकती हैं। आखिरकार, आरबीआई को हमारे दावे में दम दिखाई दिया। इस तरह, महिलाओं का पहला ग्रामीण सहकारी बैंक शुरू हुआ।
माण देशी सहकारी बैंक ने सबसे पहले सतारा के म्हसवाड़ गांव में अपने दरवाजे खोले। अब यह बैंक ग्रामीण महाराष्ट्र के सतारा, लोनंद, गोंडावले, वडुज एवं दहिवाड़ी सहित पुणे के धायरी और पनवेल के कामोठे जैसे उप-नगरीय केंद्रों में भी सेवाएं दे रहा है।
जैसी जरूरत, वैसा ऋण
पहले मेरी धारणा थी कि गरीब लोगों के पास बचाने के लिए पैसे नहीं होते; लेकिन फिर मैंने पाया कि भले ही वो गरीब हों, वो पैसे का प्रबंधन करना चाहते हैं। इसीलिए, हमने जैसी जरूरत, वैसे ऋण उत्पादों को तैयार किया है। संयुक्त देयता समूह ऋण जैसे विशिष्ट उत्पाद डिजाइन किए हैं। महिलाओं को ऐसे ऋण के लिए आवेदन करते समय उनके नाम पर संपत्ति या जमानत की आवश्यकता नहीं होती। हम उन्हें चार से पांच महिलाओं का समूह बनाने में मदद करते हैं, ताकि वे एक साथ ऋण के लिए आवेदन कर सकें, और एक-दूसरे के लिए गारंटर के रूप में खड़ी हो सकें। अन्य ऋण उत्पादों में साप्ताहिक बाजार नकदी प्रवाह सुविधा, और सूक्ष्म-उद्यम ऋण शामिल हैं, जिसका उद्देश्य उन अनुभवी महिला उद्यमियों को वित्तीय मदद देना है, जो अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहती हैं।
शुरू हुई डोरस्टेप सर्विस
'माण देशी सहकारी बैंक' ग्रामीण भारत की महिलाओं को डोरस्टेप बैंकिंग देने वाला ग्रामीण बैंक है। मिनी एटीएम से लैस 44 बैंक-सखियां गांवों में डोरस्टेप सर्विस दे रही हैं। मिनी एटीएम से खाताधारक अपने दरवाजे पर ही पैसा जमा कर सकते हैं और नकदी प्राप्त कर सकते हैं। बैंक ने सूक्ष्म-बचत उत्पाद तैयार किए हैं, जहां प्रतिदिन 10 रुपये जैसी छोटी रकम जमा कर सकते हैं। बैंक महिलाओं को नियमित सावधि या आवर्ती जमा में 50 रुपये से कम राशि निवेश करके धन बढ़ाने में मदद करता है।
बेहतर का हकदार हर गरीब
माण देशी फाउंडेशन 1996 में आर्थिक साक्षरता कार्यक्रम डिजाइन करने वाले देश के शुरुआती संगठनों में से एक था। आज माण देशी बैंक और फाउंडेशन मिलकर करीब 10 लाख महिलाओं के जीवन को संवार रहे हैं। हम ग्रामीण महिलाओं के लिए बिजनेस स्कूल, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और सामुदायिक रेडियो चला रहे हैं। हमारी चलती-फिरती प्रशिक्षण वैन गांव-गांव घूमकर सिलाई, बुनाई और हस्तशिल्प जैसे व्यवसायों का प्रशिक्षण महिलाओं को देती है। उन्हें व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक से ऋण सुविधा भी प्रदान की जाती है। अपने अनुभव से मैंने सीखा है कि गरीबों को गरीब विचार वाले समाधान नहीं देने चाहिए, क्योंकि उन्हें सबसे बेहतर की जरूरत होती है।
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।