freshwater diatom genus: पूर्वी और पश्चिमी घाट के मीठे पानी में मिली सूक्ष्म शैवाल की नई प्रजाति 'इंडिकोनेमा'
डॉ. उमाशंकर मिश्र, नई दिल्ली
Published by: Umashankar Mishra
Updated Thu, 20 Jun 2024 09:02 PM IST
सार
दुनियाभर के जलीय एवं भूक्षेत्रों में पाए जाने वाले सूक्ष्म शैवाल समूह, जिन्हें डायटम कहा जाता है, की पर्यावरण में अहम भूमिका होती है। हम जो ऑक्सीजन सांस के रूप में ग्रहण करते हैं, उसका करीब एक चौथाई हिस्सा निर्मित करके डायटम हमारे दैनिक जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। पुणे स्थित अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने पूर्वी एवं पश्चिमी घाट के मीठे पानी के क्षेत्रों में डायटम की एक नई प्रजाति का पता लगाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अध्ययन भारत के विविध क्षेत्रों की जैव विविधता को आकार देने में डायटम के महत्व को रेखांकित करता है।
डायटम हमें जलीय प्रणालियों के स्वास्थ्य के बारे में बताते हैं।
- फोटो : डीएसटी
एक नए अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने मीठे पानी के क्षेत्रों में सूक्ष्म शैवालों के नए समूह, जिन्हें डायटम कहा जाता है, का पता लगाया है। डायटम की इस प्रजाति में कई दिलचस्प विशेषताएं हैं, जो इसे गोम्फोनमॉइड समूह के अन्य शैवाल सदस्यों से अलग करती हैं। देश में इसका सीमित वितरण है, जिसे अहमियत देते हुए, नई प्रजाति को इंडिकोनेमा नाम दिया गया है।
क्या होते हैं सूक्ष्म शैवाल समूह (Diatom )
डायटम सूक्ष्म शैवाल हैं, जो वैश्विक ऑक्सीजन का 25 प्रतिशत, यानी हमारे द्वारा ली जाने वाली ऑक्सीजन की लगभग हर चौथी सांस का उत्पादन करके हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डायटम प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए जाने जाते हैं।
दुनियाभर के महासागरों, जलमार्गों और मिट्टी में पाए जाने वाले डायटम पृथ्वी के बायोमास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। जिस पानी में डायटम मौजूद होते हैं, उससे हर साल 6.7 अरब टन से अधिक सिलिकॉन ग्रहण करते हैं, और महासागरों में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थ का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं।
किसी भी जल रसायन परिवर्तन के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण, वे जलीय स्वास्थ्य के उत्कृष्ट संकेतक माने जाते हैं। वे जलीय खाद्य श्रृंखला के आधार के रूप में कार्य करते हैं। इस तरह, डायटम वैश्विक स्तर पर पर्यावरण और जलवायु को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं।
भारत में सबसे पहले दर्ज किए गए सूक्ष्मजीव
डायटम भारत में सबसे पहले दर्ज किए गए सूक्ष्मजीव हैं। इस बारे में एहरनबर्ग की पहली रिपोर्ट 1845 में उनके बड़े प्रकाशन माइक्रोजियोलॉजी में छपी थी। तब से, भारत में कई अध्ययनों में मीठे पानी और समुद्री वातावरण से डायटम दर्ज किए गए हैं।
एक मोटे अनुमान के अनुसार, लगभग 6,500 डायटम टैक्सा हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत भारत के लिए स्थानिक (एक विशेष क्षेत्र तक सीमित) हैं, जो भारत की अनूठी जैव विविधता का प्रमाण हैं। इसके अलावा, विविध जैव-भौगोलिक क्षेत्र मीठे पानी से लेकर समुद्री, समुद्र तल और ऊंचे पहाड़ों और क्षारीय झीलों से लेकर अम्लीय दलदलों तक के आवास विविधता क्षेत्र के साथ विभिन्न प्रजातियों के अनुकूल हैं।
अघारकर अनुसंधान संस्थान की खोज
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पुणे स्थित स्वायत्त संस्थान अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने इंडिकोनेमा की खोज की है। सूक्ष्म शैवाल इंडिकोनेमा में केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र क्षेत्र होने के बजाय सिर और पैर दोनों ध्रुवों पर एक छिद्र क्षेत्र पाया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन भारत के विविध क्षेत्रों की जैव विविधता को आकार देने में डायटम के महत्व को रेखांकित करता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
शोध पत्रिका फाइकोलोजिया में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि इंडिकोनेमा की एक प्रजाति पूर्वी घाट से और दूसरी पश्चिमी घाट से पाई गई है। दो पर्वत प्रणालियों के बीच स्थानिक तत्वों को साझा करने का एक समान पैटर्न अन्य स्थानिक-समृद्ध समूहों, जैसे सरीसृपों के लिए देखा गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है, मानसून ने भारतीय प्रायद्वीप क्षेत्र में वर्षा वन बायोम और उससे संबंधित अलग-अलग नमी स्तर को विकसित किया है, जिसकी डायटम वनस्पतियों को आकार देने में प्रत्यक्ष भूमिका रही है। इस शैवाल समूह की भौतिक एवं रूप-रंग संबंधी विशेषताओं के आधार पर, शोधकर्ताओं का मानना है कि इंडिकोनेमा पूर्वी अफ्रीका में पाई जाने वाली प्रजाति एफ्रोसिमबेला की सहोदर है।
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