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Research: हिमालय क्षेत्र के औषधीय पौधे ने जगाई स्तन कैंसर के उपचार की नई उम्मीद

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Wed, 15 May 2024 02:58 PM IST
सार

भारतीय शोधकर्ताओं को हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले एक औषधीय पौधे में कैंसर-रोधी गुणों का पता चला है, जिससे कैंसर उपचार को लेकर एक नई उम्मीद जगी है। आयुष मंत्रालय ने इस अध्ययन को साझा करते हुए कहा है कि इन पौधों के जरिये स्तन कैंसर के बोझ को कम करने में मदद की मिल सकती है।

एस्पेरेगस रेसमोसस को शतावरी या कुरिलो के नाम से भी जाना जाता है।
एस्पेरेगस रेसमोसस को शतावरी या कुरिलो के नाम से भी जाना जाता है। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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कैंसर एक असाध्य रोग है, जिसका प्रभावी उपचार करने के लिए लगातार नए अध्ययन किए जा रहे हैं। इसी तरह के एक ताजा अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं को हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले एक लुप्तप्राय औषधीय पौधे एस्पेरेगस रेसमोसस (Asparagus racemosus) में कैंसर-रोधी गुणों का पता चला है। 

एस्पेरेगस रेसमोसस को शतावरी या कुरिलो के नाम से भी जाना जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पौधे के औषधीय गुण स्तन कैंसर के उपचार में असरदार हो सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि स्तन कैंसर खत्म करने के साथ-साथ कुरीलो अन्य बीमारियों के उपचार में भी कारगर हो सकता है।  

कुरिलो के अलावा अश्वगंधा और कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के मिश्रण को जब स्तन कैंसर की मूल कोशिशकाओं पर प्रयोग किया तो इसके चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसा करने पर कुछ ही समय में कैंसर कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी इस अध्ययन को स्तन कैंसर के उपचार में एक नई उम्मीद बताया है। 

पौधों से अर्क लेकर कीमो-थेराप्यूटिक दवा के साथ इसे मिलाकर उपयोग करने से एमसीएफ-7 कोशिकाओं में मैमोस्फीयर गठन और सीडी 44/सीडी 24 सीएससी मार्कर कम होने लगे। शोध में पाया गया है कि सिर्फ पैक्लिटैक्सेल (पीटीएक्स) देने के बजाय औषधीय पौधों के साथ उपचार करने से बेहतर परिणाम मिले हैं। प्रयोगशाला और चूहों पर किए गए परीक्षण में इसकी पुष्टि हुई है। 
आयुष मंत्रालय ने इस अध्ययन साझा करते हुए इसे स्तन कैंसर के उपचार में नई उम्मीद बताया है।
आयुष मंत्रालय ने इस अध्ययन साझा करते हुए इसे स्तन कैंसर के उपचार में नई उम्मीद बताया है। - फोटो : एक्स
मंत्रालय ने इस अध्ययन साझा करते हुए कहा कि इन पौधों के जरिये स्तन कैंसर के बोझ को कम करने में मदद की मिल सकती है। शोध पत्रिका जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन मणिपाल स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है।

शोधकर्ताओं ने बताया है कि एस्पेरेगस रेसमोसस पौधा भारत में हिमालय क्षेत्र में मिलता है जो अब लुप्तप्राय माना जाता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पौधा रक्त, गुर्दे, यकृत, जलनयुक्त पेशाब, गठिया, गिल्टी सहित कई रोगों के उपचार में उपयोगी है। अगर किसी रोगी को शतावरी रेसमोसस यानी कुरिलो पौधे के साथ अश्वगंधा और कीमो थेराप्यूटिक दवा पैक्लिटैक्सेल (पीटीएक्स) के साथ उपचार किया जाता है तो इसके संयोजन से ट्यूमर के विकास को रोका जा सकता है। 

देश में 22 में से एक महिला को स्तन कैंसर होता है। वर्ष 2022 में भारत में 14,13,316 नए कैंसर के मामले सामने आए, जिनमें 192,020 नए मामलों के साथ देश में स्तन कैंसर का अनुपात सबसे अधिक है। आईसीएमआर के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) के मुताबिक, भारत में हर साल स्तन कैंसर के दो लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं।