धान एक प्रमुख खाद्य फसल है, जिसका विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर उपभोग होता है। हालांकि, विभिन्न बीमारियों के कारण हर साल बड़े पैमाने पर धान की फसल नष्ट हो जाती है, जो खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी चुनौती है। शीथ ब्लाइट ऐसा ही एक खतरनाक रोग है, जो विशेषकर अनुकूल परिस्थितियों में धान की उपज को 50 फीसदी तक नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है।
उपलब्ध चावल जर्मप्लाज्म में पूर्ण रोग-प्रतिरोध स्रोत की कमी के कारण फसलों की ब्रीडिंग के पारंपरिक तरीकों से इस रोग को नियंत्रित करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत कार्यरत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली के शोधकर्ताओं ने ऐसे महत्वपूर्ण सुरागों की पहचान की है, जिनका उपयोग धान में शीथ ब्लाइट रोग के नियंत्रण के लिए किया जा सकता है।
वैज्ञानिक यह जानते हैं कि पौधे रोगजनकों को मारने और बीमारी को रोकने के लिए रासायनिक रक्षा, विशेष रूप से प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन किस्में उत्पन्न करते हैं। शोध पत्रिका, माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित ताजा अध्ययन से पता चला है कि शीथ ब्लाइट के रोगजनक आर. सोलानी में मेजबान पौधे की रक्षा प्रतिक्रिया को विफल करने की आंतरिक क्षमता होती है।
एनआईपीजीआर के वैज्ञानिक डॉ गोपालजी झा बताते हैं, यह रोगजनक तनाव भरे वातावरण में भी बढ़ने के लिए अनुकूलित हो गया है। शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि रोगजनकों में कुछ विशिष्ट एंजाइमों का रासायनिक नियंत्रण शीथ ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने में भी प्रभावी हो सकता है।
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