Growing Crops on Mars: वैज्ञानिक खोज रहे हैं कि मंगल ग्रह पर कैसे उगाई जाएं फसलें
गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली
Published by: Umashankar Mishra
Updated Mon, 06 May 2024 09:11 AM IST
सार
पृथ्वी से बाहर दूसरे ग्रहों पर बस्तियां बसाने के मनुष्य के प्रयास जारी हैं। इन प्रयासों में मंगल ग्रह पर अब तक जीवन के ऐसे कई संकेत मिले हैं, जिनके आधार माना जाता रहा है कि लाल ग्रह पर मनुष्य की बस्तियां बसाई जा सकती हैं। लेकिन, भविष्य के मनुष्यों के लिए मंगल ग्रह पर लंबे समय तक जीवित रहने के लिए लाल ग्रह पर भोजन उगाना आवश्यक होगा। वैज्ञानिक मंगल जैसे वातावरण में खेती करके खाद्य उत्पाद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
शोधकर्ता एक नियंत्रित ग्रीनहाउस में मंगल ग्रह जैसे वातावरण में खेती कर रहे हैं।
- फोटो : वीओए
मंगल ग्रह पर भविष्य में यदि बसावट होती है, तो वहां रहने वाले भविष्यक के मनुष्यों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए रॉकेट डिलीवरी पर निर्भर रहना बहुत महंगा और जोखिम भरा होगा। इसे ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में खेती को बेहतर बनाने के तरीके तलाश रहे हैं।
नीदरलैंड में वैगनिंगेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च में, शोधकर्ता एक नियंत्रित ग्रीनहाउस में काम करते हैं। उन्होंने एक ऐसे तरीके की पहचान की है, जिससे सिमुलेटेड यानी नकली मंगल ग्रह की मिट्टी में विभिन्न फसलों को एक साथ उगाकर फसल उत्पादन में सुधार कर सकते हैं। इस विधि को "इंटरक्रॉपिंग" कहा जाता है। वॉयस ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसका आविष्कार सबसे पहले प्राचीन माया किसानों द्वारा किया गया था, जो अब मध्य अमेरिका है।
अपने प्रयोगों में, शोधकर्ताओं ने चेरी टमाटर, मटर और गाजर को छोटे एवं गोल कंटेनरों में एक साथ उगाया, जिन्हें पॉट्स कहा जाता है। इस तरह से उगाए गए टमाटरों का उत्पादन उसी नकली मंगल ग्रह की मिट्टी में अकेले उगाए गए या "मोनोक्रॉप्ड" टमाटरों की मात्रा से लगभग दोगुना होता है। टमाटर बड़े भी थे और वे जल्दी फूलते और परिपक्व होते देखे गए। यही नहीं, उनमें प्रति पौधे अधिक फल मिलते हैं और उनके तने मोटे होते हैं।
इस प्रयोग में टमाटर की अच्छी फसल मिली। लेकिन, इंटरक्रॉपिंग फसलों की इस खेती में मटर और गाजर की मात्रा में वृद्धि नहीं हुई। शोध पत्रिका प्लॉस वन में प्रकाशित इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता रेबेका गोंकाल्वेस एक खगोल जीवविज्ञानी कहती हैं, यह शोध पहली बार किया गया है जब अंतरिक्ष की मिट्टी में इंटरक्रॉपिंग (अंतरफसली) खेती की तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
गोंकाल्वेस ने कहा, यह भी महत्वपूर्ण है कि तीन में से एक फसल पर यह प्रयोग अच्छा रहा, जो एक बड़ी खोज है, जिस पर अब हम आगे शोध कर सकते हैं। फसलें नकली मार्टियन रेजोलिथ में उगाई गई थी, जो ऐसी मिट्टी है, जिसमें कोई कार्बनिक पदार्थ नहीं था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के शोधकर्ताओं द्वारा बनाई गई यह खास मिट्टी वास्तविक मंगल ग्रह की मिट्टी से लगभग पूरी तरह से भौतिक और रासायनिक रूप से समान है।
शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग में उपयोगी बैक्टीरिया और पोषक तत्वों को शामिल किया है। उन्होंने मंगल ग्रह की अपेक्षित स्थितियों से मेल खाने के लिए ग्रीनहाउस के अंदर गैसों, तापमान और आर्द्रता को भी नियंत्रित किया।
फिलहाल, मंगल ग्रह पर मानव आधार केवल फिल्मों में ही देखे जाते हैं। लेकिन, उदाहरण के लिए, नासा 2030 के दशक में लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने के तरीके विकसित कर रहा है।
अध्ययन से जुड़े एक अन्य शोधकर्ता वीगर वेमलिंक ने कहा, "मंगल वास्तव में बहुत दूर है। अब एक उड़ान में लगभग नौ महीने लगेंगे। यदि आप वहां इंसानों के रूप में रहना चाहते हैं, तो आपको उस स्थान पर अपनी फसलें उगानी होंगी।" वह वैगनिंगन में एक प्लांट इकोलॉजिस्ट और B.A.S.E. के प्रमुख हैं, जो चंद्र और मंगल ग्रह के ग्रीनहाउस विकसित करने वाली कंपनी है। उन्होंने कहा, "भोजन के साथ उड़ान भरना बहुत महंगा है और असुरक्षित भी है। हमारा मुख्य लक्ष्य साइट पर मौजूद संसाधनों का जितना संभव हो सके उपयोग करना है।"
इंटरक्रॉपिंग में ऐसे गुणों वाले पौधे उगाना शामिल है, जो एक-दूसरे को बढ़ने में मदद कर सकते हैं। यह विधि पानी और पोषक तत्वों सहित संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अंतरफसली खेती में टमाटर के पौधों को मटर के पौधों के करीब होने से फायदा हुआ होगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मटर मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया की मदद से हवा से नाइट्रोजन को एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व में बदलने में अच्छी मानी जाती है।
गोंकाल्वेस ने कहा कि अंतरफसली खेती से गाजर की कम फसल पैदा हुई और मटर में कोई बदलाव नहीं आया। "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने एक फसल के साथ दूसरी फसल की प्रजातियों का चयन कैसे करते हैं, क्योंकि टमाटर को मटर से लाभ हुआ, लेकिन गाजर को निश्चित रूप से फायदा नहीं मिला। यह संभवतः प्रकाश की कमी के कारण था।"
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