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केजीबीवी में बनेंगी आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम: सात लाख छात्राओं को मिलेगा फायदा

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Shailesh Arora Updated Wed, 03 Jul 2024 09:15 PM IST
सार

देश भर के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब एवं स्मार्ट क्लासरूम बनवाए जाएंगे। इससे इन आवासीय विद्यालयों में पढ़ने वाली सात लाख से अधिक छात्राओं को फायदा होगा। इनमें अधिकतर छात्राएं ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में छात्राओं के रहने की भी सुविधा होती है
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में छात्राओं के रहने की भी सुविधा होती है - फोटो : प्रतीकात्मक

विस्तार
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केजीबीवी में पढ़ने वाली छात्राएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार इन छात्राओं को डिजिटल साक्षरता सुलभ कराना उनके व्यक्तिगत, प्रोफेशनल व व्यावसायिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटने में भी काफी मदद मिलेगी। आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है।

आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम से फायदा
इन विद्यालयों में आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम होने से यहां पढ़ने वाली छात्राएं आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस होंगी। इन छात्राओं की स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मों व संसाधनों जैसे 'स्वयं', 'स्वयं प्रभा', राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, राष्ट्रीय मुक्त शैक्षणिक संसाधन भंडार, दीक्षा, आदि तक बेहतर पहुंच होगी। इससे इन छात्राओं का ज्ञान और कौशल बढ़ेगा।

केजीबीवी में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में छात्राओं को वहीं रहकर पढ़ने की सुविधा मिलती है। केजीबीवी दरअसल वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाली बालिकाओं के लिए हैं। यहां कक्षा छह से कक्षा 12वीं तक पढ़ाई होती है।

देश भर में 5116 केजीबीवी चल रहे हैं
केजीबीवी शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में खोले जाते हैं। इनका उद्देश्य वंचित वर्ग की इन बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण व बेहतरीन शिक्षा देना है। वर्तमान में देश के 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी का संचालन हो रहा है।  भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अनुसार इन विद्यालयों में लैब और स्मार्ट क्लासरूम बनाने में करीब 290 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।