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स्प्रेयर से फसल सुरक्षा : खेत में छिड़काव करने के लिए कैसे चुनें उपयोगी स्प्रेयर, जानें सब कुछ

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Fri, 01 Mar 2024 12:07 PM IST
सार

खरपतवार, कीटों और रोगों के प्रकोप से फसल उत्पादन प्रभावित होता है। इनके नियंत्रण के लिए खेत में कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है। यहां कुछ स्प्रेयर्स के बारे में बताया जा रहा है, जिनका चयन छिड़काव की जरूरत के अनुसार कर सकते हैं। 

लखनऊ के बीकेटी स्थित सैरपुर गांव में आलू की फसल पर कवकनाशी का छिड़काव करते हुए किसान
लखनऊ के बीकेटी स्थित सैरपुर गांव में आलू की फसल पर कवकनाशी का छिड़काव करते हुए किसान - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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खरपतवार, कीट और रोगों के प्रकोप से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों को खेत में  रासायनिक दवाओं अथवा जैविक घोल का छिड़काव करना पड़ता है। इनका संतुलित उपयोग फसल में करना जरूरी होता है। यह काम मैनुअल तरीके से संभव नहीं है क्योंकि दवाओं की नपी-तुली मात्रा का उपयोग करने का सुझाव वैज्ञानिकों द्वारा दिया जाता है। इसीलिए, किसानों को खेत में छिड़काव करने वाले स्प्रेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है।

आज अनेक प्रकार के स्प्रेयर बाजार में मौजूद हैं, जिनमें नैपसैक स्प्रेयर, रौकिंग स्प्रेयर, फुट स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, बैटरी स्प्रेयर, सौर ऊर्जा से चलने वाले स्प्रेयर, अल्ट्रा-लो वॉल्यूम स्प्रेयर और पावर स्प्रेयर, मिस्ट ब्लोअर स्प्रेयर जैसे नामों से मिलते हैं।  ये उपकरण हाथ से, पैर से या फिर ट्रैक्टर आदि से संचालित होते हैं। छोटे व मध्यम दर्जे के किसान ज्यादातर हाथ से चलने वाले स्प्रेयर को तरजीह देते हैं, क्योंकि इनकी कीमत कम और रखरखाव भी आसान है। 

पीठ पर लटकाए जाने वाले स्प्रेयर 
कृषि कार्यों में उपयोग किए जाने वाले छोटे यंत्रों में से एक उपकरण पीठ पर लटकाए जाने वाले स्प्रेयर होते हैं। इस प्रकार के स्प्रेयर में लगे पंप हाथ से संचालित होते हैं, जिनमें जलीय घोल पर पंप की सीधी क्रिया से छिड़काव के लिए दाब बनता है। इस तरह से उत्पन्न हुआ दाब इस घोल को नोजल के सूक्ष्म छिद्रों से बाहर की ओर फेंकता है। इससे यह उचित आकार की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में फसल के ऊपर छिड़काव कर देता है। 

बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर 
इस स्प्रेयर को बैटरी द्वारा चलाया जाता है। बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर के उपयोग से समय और मैनुअल ऊर्जा की बचत होती है और रसायनों के छिड़काव में कम खर्च आता है। इसका उपयोग अपेक्षाकृत बड़े रकबे में अधिक किया जाता है। इस टू इन वन स्प्रेयर में 12 वोल्ट की बैटरी होती है। एक बार चार्ज होने के बाद 4 से 5 घंटे इस स्प्रेयर से छिड़काव किया जा सकता है। 

पैर-चालित स्प्रेयर 
इस स्प्रेयर का उपयोग पैर के द्वारा किया जाता है। इसकी सक्शन नली में एक विशिष्ट छलनी लगी होती है, जिससे घोल को टंकी में डाला जाता है। इसका यंत्र लोहे के बने स्टैंड में लगा होता है और पंप सिलेंडर को पैडल से चलाकर दाब उत्पन्न किया जाता है। लगातार स्प्रे करने के लिए एक आदमी पैडल को चलाता है और दूसरा आदमी छिड़काव करता है। 

इंजन स्प्रेयर 
इस तरह के स्प्रेयर में टैंक के नीचे एक छोटा इंजन लगा होता है। इस यंत्र को चलाने के लिए पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाता है। ये 2 स्ट्रोक और 4 स्ट्रोक में बने होते हैं। 25 लीटर टैंक की क्षमता में भी इंजन स्प्रेयर मौजूद हैं। यह यंत्र समतल जमीनी खेती के अलावा बागवानी के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

पावर-चालित स्प्रेयर 
इस स्प्रेयर का प्रयोग अधिक क्षेत्र में स्प्रे करने के लिए किया जाता है। इसके प्रयोग से समय की बचत होती है और छिड़काव में कम खर्च आता है। इसमें सबसे अधिक ट्रैक्टर से संचालित होने वाले स्प्रेयर का ही उपयोग होता है। इसमें दाब उत्पन्न करने के लिए रोलर वेन पंप लगा होता है, जिसे ट्रैक्टर के पीटीओ शाफ्ट से चलाते हैं। 

नैपसैक स्प्रेयर 
नैपसैक स्प्रेयर उच्च क्वालिटी की प्लास्टिक द्वारा बनाया गया है। 16 लीटर की क्षमता वाला यह स्प्रेयर कम वजन का होता है। यह स्प्रेयर एक मिनट में 900 मि.ली. तक तरल का छिड़काव कर सकता है। इससे फसल के हिसाब से छिड़काव के समय नोजल बदल सकते हैं।