Home Gaon Post Drishtikon Line Of Poverty How Important Is It To Redefine The Poverty Line What Will Be Its Impact On Government Schem

Line of Poverty: गरीबी रेखा को नए सिरे से परिभाषित करना क्यों जरूरी; गरीबों पर इसका कितना पड़ेगा असर?

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Wed, 19 Jun 2024 06:22 PM IST
सार

भारत अभी भी एक दशक पुरानी तेंदुलकर समिति द्वारा स्थापित गरीबी रेखा पर निर्भर है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने अब गरीबी रेखा को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता को लेकर सवाल उठाया है। 

भारत अभी भी एक दशक पुरानी तेंदुलकर समिति द्वारा स्थापित गरीबी रेखा पर निर्भर है।
भारत अभी भी एक दशक पुरानी तेंदुलकर समिति द्वारा स्थापित गरीबी रेखा पर निर्भर है। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

असमानता और गरीबी का आकलन करने और विभिन्न सरकारी योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने में गरीबी रेखा की भूमिका अहम होती है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) के आंकड़ों को भी इसी आधार पर लागू किया जाता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने नई गरीबी रेखा की आवश्यकता पर जोर दिया है। 

तेंदुलकर समिति द्वारा स्थापित गरीबी रेखा पर निर्भरता
बिबेक देबरॉय ने कहा, भारत अभी भी एक दशक पुरानी तेंदुलकर समिति द्वारा स्थापित गरीबी रेखा पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि रंगराजन समिति ने एक अलग गरीबी रेखा का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसे कभी आधिकारिक तौर पर अपनाया नहीं गया। देबरॉय बुधवार को दिल्ली में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा आयोजित डाटा यूजर कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। 

देबरॉय ने बताया कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई) गरीबी रेखा नहीं है। उन्होंने सवाल किया, "क्या हमें अब एक नई गरीबी रेखा बनानी चाहिए, जिस पर घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) डाटा लागू किया जा सके?" उन्होंने जोर देकर कहा कि एचसीईएस डाटा न केवल असमानता और गरीबी का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि विभिन्न योजनाओं और कार्यों के लिए महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। 

गरीबों के जीवन पर कितना असर
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने एएनआई से कहा कि गरीबी रेखा में बदलाव से गरीबों के जीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। करंदीकर ने कहा, "अगर गरीबी रेखा में बदलाव होता है, तो वह व्यक्ति क्या कहेगा जो खुद को गरीब मानता है? या वह व्यक्ति जो गरीब नहीं है, लेकिन नई गरीबी रेखा के भीतर है, वह गरीब हो जाता है? दोनों ही मामलों में उसके जीवन में कोई अंतर नहीं है। लेकिन, मैं समग्र निर्णय में इसके महत्व को नकार नहीं रहा हूं। निर्णय लेने में इसका महत्व है।" 

बेहतर निर्णय लेने में महत्व 
इससे पहले सम्मेलन में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव सौरभ गर्ग ने प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर चल रहे फोकस पर जोर दिया। गर्ग ने कहा, बेहतर निर्णय लेने के लिए समय पर डाटा की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। उन्होंने डाटा इनोवेशन हब बनाने के लिए अभिनव तंत्र का उपयोग करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया।

ग्रामीण और शहरी खर्च 
सम्मेलन में एचसीईएस 2022-23 रिपोर्ट भी जारी की गई, जिसमें खर्च के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलावों पर प्रकाश डाला गया। वर्ष 2022-23 में, ग्रामीण खर्च बढ़कर 3,773 रुपये और शहरी खर्च बढ़कर 6,459 रुपये हो गया, जो वर्तमान मूल्यों पर 2011-12 से क्रमशः 164 प्रतिशत और 146 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

रिपोर्ट में खर्च करने की आदतों में बदलाव का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें ग्रामीण खाद्य व्यय 46 प्रतिशत और शहरी खाद्य व्यय 39 प्रतिशत तक गिर गया है। इसके अतिरिक्त, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय का अंतर कम हो रहा है। असमानता का एक माप गिनी गुणांक है, जो ग्रामीण क्षेत्र के लिए 0.283 से 0.266 और शहरी क्षेत्र के लिए 0.363 से 0.314 तक कम हो गया, जो 2011-12 से असमानता में कमी को दर्शाता है।