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Water managment: किसानों को करनी होगी जल संकट से लड़ने की तैयारी, तकनीक से मिल सकती है मदद

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Sun, 19 May 2024 11:31 AM IST
सार

अधिकांश किसान पारंपरिक सतही विधियों से सिंचाई करते हैं, जिसमें शायद ही कभी जल उपयोग दक्षता 35 प्रतिशत से अधिक होती है। बदलती जलवायु के रुख को देखते हुए किसानों को भी समय रहते तैयारी करने की जरूरत है।

स्मार्ट सिंचाई में उपयोगी सेंसर युक्त मशीन।
स्मार्ट सिंचाई में उपयोगी सेंसर युक्त मशीन। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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देश के कृषि क्षेत्र में जल दक्षता में सुधार पर केंद्रित एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 50 प्रतिशत जिलों में वर्ष 2050 तक पानी की भारी कमी होने के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। दुनिया में सबसे अधिक जल-तनाव वाले देशों में शामिल भारत को सदी के मध्य तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में 15 प्रतिशत की कमी झेलनी पड़ सकती है। जबकि, देश में पानी की खपत में 30 प्रतिशत वृद्धि होने के साथ मांग और आपूर्ति का संतुलन भी बिगड़ सकता है।

विश्व की 17 फीसदी आबादी वाले देश में ताजे पानी के संसाधन सीमित हैं और दो-तिहाई लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। जल संकट की आसन्न चुनौती को फिलहाल दक्षिण भारत के कई इलाकों में अधिक अनुभव किया जा रहा है, जहां चिलचिलाती गर्मी के बीच जलाशयों का स्तर घटकर सिर्फ 17 फीसदी रह गया है, जो अब सूखने की कगार पर हैं। इसी से समझ सकते हैं कि भविष्य में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। 

भूजल में कमी होने के अब तक गंभीर प्रभाव देखे गए हैं। यह बात चिंताजनक इसलिए भी है, क्योंकि कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक 80-90 प्रतिशत पानी की खपत होती है। पानी की कमी का असर पेयजल के साथ-साथ जीव-जंतुओं, पर्यावरण, खाद्यान्न सुरक्षा और कृषि तथा इससे संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी 55 फीसदी आबादी की आजीविका पर पड़ सकता है। गहन रूप से उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख फसलों की प्राकृतिक विशेषताओं और इन्हें उगाने के लिए अकुशल जल उपयोग प्रथाओं के कारण कृषि क्षेत्र में पानी की खपत अधिक होती है। 

भारत के कुल फसल उत्पादन का कम से कम 90 प्रतिशत हिस्सा तीन प्रमुख फसलों - चावल, गन्ना और गेहूं पर निर्भर है। आबादी में वृद्धि के साथ इन प्रमुख फसलों पर लोगों की निर्भरता में आगे भी बढ़ोतरी का अनुमान है। पानी, बिजली और उर्वरकों पर उच्च सब्सिडी के साथ-साथ सरकारी खरीद के रूप में मिलने वाले प्रोत्साहन से भी इन फसलों पर निर्भरता बढ़ी है। अधिक पानी का उपयोग करने वाली फसलों की खेती के साथ-साथ अन्य देशों की तुलना में भारत में सिंचाई दक्षता काफी कम है।

अधिकांश किसान पारंपरिक सतही विधियों से सिंचाई करते हैं, जिसमें शायद ही कभी जल उपयोग दक्षता 35 प्रतिशत से अधिक होती है। बदलती जलवायु के रुख को देखते हुए किसानों को भी समय रहते तैयारी करने की जरूरत है। मिट्टी की नमी और फसल में पानी की आवश्यकता का पता लगाने वाले स्मार्ट सेंसर्स का उपयोग खेती में बेहतर जल प्रबंधन करने में सहायक हो सकता है। पॉलीहाउस में संरक्षित खेती, ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिंचाई और टपक सिंचाई जैसी तकनीकों के उपयोग से भी खेती में पानी का कुशलता से उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं।