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Loksabha Election 2024: ग्रामीण भारत के भविष्य को आकार देने वाला होगा लोकतंत्र का उत्सव

गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Fri, 19 Apr 2024 12:00 PM IST
सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वह देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर के आकाश पर ले जाने का इरादा रखते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत के गांवों की भूमिका सबसे अधिक होगी, क्योंकि हमारे गांव एवं किसान ही हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।

18वीं लोकसभा के चुनाव भारतीय गांवों के भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे।
18वीं लोकसभा के चुनाव भारतीय गांवों के भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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नवजात स्वतंत्र भारत में 25 अक्तूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच आम चुनाव हुए, जो 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद पहला चुनाव था। देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों में रहने वाली आबादी में से 17.5 करोड़ मतदाताओं को पहली बार सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार उस समय मिला, जब अधिकतर लोगों को इसका सही अर्थ भी मालूम नहीं था। इनमें से 80 फीसदी से अधिक निरक्षर थे।

देश में पहले चुनाव के समय ग्रामीण भारत में बुनियादी ढांचे के विकास का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 5.65 लाख गांवों में से केवल 5,000-10,000 गांवों में विद्युतीकरण किया गया था। अंग्रेजों द्वारा भारत में रेलवे और राजमार्गों का नेटवर्क बनाने के दावों के बावजूद देश में यह स्थिति बनी हुई थी। अधिकांश गांव खराब रास्तों के कारण अलग-थलग पड़े रहे, जो अक्सर मानसून के दौरान कट जाते थे। मोटर वाहन मुश्किल से दिखाई देते थे और स्थानीय परिवहन मुख्य रूप से बैलगाड़ियों पर निर्भर था। व्यापार की तरह धन भी गांवों में सीमित था।

औपनिवेशिक शासन की पीड़ा से बाहर निकलने के बाद देश में पहले आम चुनाव से लेकर अब तक हुए चुनावों की लंबी यात्रा से गुजरते हुए भारत की पहचान दुनियाभर में एक मजबूत लोकतंत्र के रूप में बनी है। यही नहीं, आज तस्वीर पूरी तरह पलट चुकी है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में आगामी आम चुनावों में मतदान करने के लिए विश्व में सर्वाधिक 96.88 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं और एक लोकतांत्रिक देश के रूप में हम पहले से कई गुना अधिक मजबूत हुए हैं। 

आजादी के 71 साल बाद, भारत के सभी बसे हुए गांवों में आखिरकार बिजली पहुंच गई है। सिर्फ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की ही बात करें, तो योजना की शुरुआत के बाद, 13 दिसंबर 2023 तक कुल 8,14,522 किमी लंबी सड़कें और 11,587 पुल स्वीकृत किए गए, जिनमें से 7,49,363 किमी लंबी सड़कें और 8,435 पुल तैयार हो चुके हैं। ये कुछ उदाहरण हैं, जो देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा बुनियादी ढांचे के विकास को उजागर करते हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वह देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर के आकाश पर ले जाने का इरादा रखते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत के गांवों की भूमिका सबसे अधिक होगी, क्योंकि हमारे गांव एवं किसान ही हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।

आम चुनावों से ठीक पहले जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर पहली बार गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं की चार जातियों को परिभाषित किया गया है। यह कहा जा रहा है कि इन चार जातियों को सशक्त करके ही विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। कुल मिलाकर देखें, तो ग्रामीण भारत सहित पूरे देश के भविष्य को आकार देने में आगामी चुनावों की भूमिका अहम होगी।