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Rural Technology: गांवों के लिए क्यों अहम है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी?

उमाशंकर मिश्र, नई दिल्ली Published by: Umashankar Mishra Updated Wed, 27 Mar 2024 09:12 PM IST
सार

देश की अधिसंख्य आबादी गांवों में रहती है, जहां सभी के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य अभी पूरा नहीं किया जा सका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड जैसी तकनीक ग्रामीण भारत की इन मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सहायक हो सकती है।

कृषि में भी एआई तकनीक का उपयोग हो रहा है।
कृषि में भी एआई तकनीक का उपयोग हो रहा है। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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भारत में छह लाख से अधिक गांव हैं, और देश की करीब 69 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है, जहां बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, रोजगार, बिजली, स्वच्छ ईंधन, पेयजल, शौचालय और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं तक अधिसंख्य आबादी की पहुंच सीमित है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियां इन मूलभूत जरूरतों को पूरा करने से लेकर गांवों के चौमुखी विकास का प्रभावी उपकरण बन सकते हैं। अगले कुछ वर्षों में बिग डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, क्लाउड कम्प्यूटिंग और एआई जैसी नवीनतम डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ने की अधिक संभावना व्यक्त की जा रही है। आने वाले वर्षों में इन्हीं प्रौद्योगिकियों पर सवार होकर नये उत्पाद और सेवाएं ग्रामीण भारत की नई तस्वीर बनाने के लिए आ रहे हैं। जिस तरह आसमान में बादल पानी से भरे रहते हैं, उसी तरह प्रौद्योगिकी की दुनिया में क्लाउड डेटा से भरा रहता है। क्लाउड कम्प्यूटिंग एक ऐसी प्रौद्योगिकी है, जिसके द्वारा डेटा या सूचनाओं को इंटरनेट की सहायता से ऑनलाइन स्टोर, मैनेज या रिट्रीव किया जा सकता है। वहीं, एआई संचालित कम्प्यूटिंग उपकरणों के पास ऐसे कार्यों को करने की क्षमता होती है, जिसमें प्रायः मानव बुद्धि और विवेक की आवश्यकता होती है।

कुछ समय पूर्व, कॉमन सर्विसेज सेंटर (सीएससी) पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े लोगों को एआई और क्लाउड कम्प्यूटिंग में कुशल बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम के साथ साझेदारी इन प्रौद्योगिकियों के बढ़ते महत्व को दर्शाती है। हाल में, माइक्रोसॉफ्ट ने भी एक एआई-संचालित बहुभाषी चैटबॉट लॉन्च किया है। जुगलबंदी नामक इस चैटबॉट के लिए मैसेजिंग प्लेटफॉर्म वाट्सऐप के साथ गठजोड़ किया गया है। इस एआई चैटबॉट के सहारे से ग्रामीण लोग सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में जान सकेंगे। इस चैटबॉट का उपयोग वॉट्सएप पर कर सकेंगे। जुगलबंदी को AI4Bharat ने आईआईटी मद्रास के सहयोग से बनाया है, जो करीब 10 भाषाओं को समझ सकता है, और यूजर्स के सवालों को समझकर सहायता प्रदान कर सकता है। खेती में ड्रोन के उपयोग से लेकर डिजिटल बैंकिंग, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, बेहतर स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा, कौशल विकास, और पंचायती राज संस्थाओं की मजबूती में इन प्रौद्योगिकियों की भूमिका बढ़ रही है। आइए ग्रामीण भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्रों के बारे में जानें, जहां क्लाउड और एआई आधारित तकनीक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है।

वित्तीय सेवाएं
एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) वित्तीय सेवा प्रदाताओं को डेटा एवं एनालिटिक्स से लैस रहे हैं, जिससे दूरदराज क्षेत्रों के लोगों के लिए वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उदाहरण के लिए, ग्राहकों की क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होना वित्तीय समावेशन की प्रमुख चुनौती है, खासकर वंचित वर्ग के बीच यह समस्या अधिक होती है। यहां एआई और एमएल एल्गोरिद्म काम आते हैं, जो मोबाइल उपयोग के पैटर्न और लेनदेन के इतिहास जैसे डेटा स्रोतों का विश्लेषण करके ग्राहकों की वित्तीय साख का आकलन कर सकते हैं। एआई-चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट वित्तीय क्षेत्र में ग्राहक सेवा का नया चेहरा बनकर उभरे हैं। ये प्रौद्योगिकियां धोखाधड़ी वाले व्यवहार से जुड़ी विसंगतियों और पैटर्न का पता लगाने के लिए विशाल डेटासेट का तेजी से विश्लेषण कर सकती हैं। क्रेडिट और जोखिम मूल्यांकन को स्वचालित करके सूक्ष्म ऋण वितरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में इनका कोई सानी नहीं हैं। एआई-संचालित मोबाइल बैंकिंग ऐप बुनियादी लेनदेन के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस की पेशकश करता है। ऐसे हस्तक्षेप बैंकिंग सेवाओं के अंतर को पाट सकते हैं। वहीं, एआई-संचालित रोबो-सलाहकार निवेश के मामले में बदलाव ला रहे हैं, जो व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, ग्राहकों के जोखिम सहन करने की क्षमता, और वित्तीय लक्ष्यों का लेखा-जोखा रख सकते हैं, और निवेश के आकर्षक विकल्प बता सकते हैं।

रोजगार के अवसर
डिजिटल बदलाव के लिए कार्य करने वाले थिंक टैंक ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया, एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया, और हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल के साथ मिलकर 2019 में एक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में पाया गया कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और एआई आधारित एप्लिकेशन्स आने वाले 08 से 10 वर्षों में ग्रामीण भारत में 28 लाख नौकरियां पैदा कर सकते हैं। इनमें से, कम से कम 21 लाख नौकरियां अकेले कृषि क्षेत्र से जुड़ी होने का अनुमान लगाया गया था। जबकि, इस अध्ययन में, अन्य सात लाख नौकरियां ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र में पैदा होने की बात कही गई है। डिजिटल प्रौद्योगिकी गांवों में कई दूसरी रोजगारपरक गतिविधियां शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। तेज रफ्तार इंटरनेट के विस्तार के साथ, बीपीओ या केपीओ जैसी गतिविधियां गांवों से संचालित हो सकती हैं, और युवाओं को अपने गांव में रहकर नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। कई नौकरियों के लिए डिग्री के बजाय कम्प्यूटर कौशल की आवश्यकता होती है। डाकघरों, ग्रामीण बैंकों और आईटी-सक्षम सेवाओं का डिजिटलीकरण रोजगार के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।

खेती में सुधार
बीआईएफ के अध्ययन के अनुसार, देश के कृषि क्षेत्र में रोजगार का प्रतिशत 2010 में 52% से घटकर 2018 में 42% हो गया है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित एप्लीकेशन्स में इस प्रवृत्ति को पलटने की क्षमता है। अध्ययन में, इस बात पर भी प्रकाश डाला गया था कि सैटेलाइट मैपिंग, ऑनलाइन बाजार, पशुधन का रखरखाव, जलवायु सेन्सिंग स्टेशन, और कृषि ड्रोन जैसे प्रमुख अनुप्रयोग कृषि क्षेत्र को बदलने सकते हैं। फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और नीम कीटनाशक जैसी योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचाने में भी डिजिटल मंच कारगर भूमिका निभा रहे हैं। जरा सोचिए कि आपके गांव में प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा संचालित हेल्प-डेस्क हो, जहां आपको खेती-बाड़ी से जुड़ी तमाम जानकारियां एक जगह मिल जाएं। यह सब अब प्रौद्योगिकी ने संभव बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनियाभर में कृषि क्षेत्र में ग्रामीण सशक्तिकरण रणनीति के एक हिस्से के रूप में 5G और आईओटी तकनीक को अपनाने से खाद्य उत्पादन में 70% की वृद्धि हो सकती है, जो बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन उपलब्ध कराने में सहायक हो सकती है।

पंचायती राज
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत, पंचायतों के कामकाज में बदलाव लाने, उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट शुरु किया गया है। पंचायती राज मंत्रालय ने ई-ग्राम स्वराज एप्लिकेशन लॉन्च किया है। इस एप्लिकेशन में, पंचायतों के कामकाज के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। योजना से लेकर बजट, भुगतान, लेखांकन, निगरानी, परिसंपत्ति प्रबंधन आदि कार्य इस एप्लीकेशन की मदद से किए जा सकते हैं। खातों के रखरखाव में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए ई-ग्राम स्वराज को सरकार की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से जोड़ा गया है। इसकी मदद से, पंचायतें अपने वेंडर्स को ऑनलाइन भुगतान कर सकती हैं। ग्राम पंचायतें अपने गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं को इस पर अपलोड कर सकती हैं। पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार, अब तक, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की 2.55 लाख ग्राम पंचायतों द्वारा 2022-23 के लिए अपनी ग्राम पंचायत की विकास योजनाएं तैयार करके इस एप्लीकेशन पर अपलोड कर दी गई हैं।

बेहतर शिक्षा
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ हर गांव में साक्षरता को 100% तक लाए बिना समृद्ध ग्रामीण भारत का लक्ष्य अधूरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में, तेज रफ्तार 5जी इंटरनेट उपलब्धता सुनिश्चित होने से रिमोट लर्निंग आसान हो गई है। इससे ग्रामीण शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो सकता है। फंडिंग और पहुंच की कमी के कारण भारत के हर गांव में गुणवत्तापूर्ण स्कूल बनाना चुनौतीपूर्ण है। तकनीक इस अंतर को पाट सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में 5G को लागू करके अत्यधिक इंटरैक्टिव ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो सकती हैं, जहां गांवों के छात्र शहरी छात्रों के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे शैक्षणिक रूप से अधिक मजबूत और प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे। चूंकि, 5G सेवाएं अपने पिछले सभी समकक्षों की तुलना में तेज हैं, इसलिए, बिना किसी बफरिंग के यह अधिक व्यापक स्थानों तक पहुंच सकती हैं।

स्वास्थ्य देखभाल
ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों के लिए परिवहन की कमी, और अच्छे अस्पतालों की कमी के कारण डॉक्टरों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कई बार मरीज उपचार मिलने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। लेकिन, अब रिमोट होम मॉनिटरिंग सिस्टम, टेली-हेल्थ और 5जी का दायरा लगातार बढ़ रहा है, जो ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रभावी उपकरण बन सकते हैं। उत्तर प्रदेश के किसी गांव में बैठा कोई मरीज मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहरों के विशेषज्ञ डॉक्टरों से ई-कंसल्टेशन ले सकते हैं, और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त कर सकते हैं। डॉक्टर अब वीडियो कॉल पर सलाह प्रदान कर सकते हैं, और उपचार भी बताते हैं। हालांकि, 4G इंटरनेट का उपयोग भी ऐसे कामों के लिए किया जा सकता है, लेकिन, 5G कई तरीकों से अनुभव को बेहतर बना सकता है। विशेषज्ञ सर्जन और डॉक्टर ग्रामीण अस्पतालों में मरीजों की सेवा के लिए दूरस्थ रोबोट का उपयोग कर सकते हैं, शहरों के डॉक्टरों से परामर्श कर सकते हैं।

इन तकनीकों का लाभ ग्रामीण आबादी तभी उठा सकती है, जब इनके बारे में जागरूकता और बेहतर समझ हो। इसीलिए, अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग को ग्रामीण स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाना प्रभावी हो सकता है।