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High Tech Nurseries In Up Districts Women Take Charge
Uttar Pradesh: यूपी के जिलों में हाइटेक नर्सरी, महिलाओं ने थामी कमान
शैलेश अरोड़ा, मिर्जापुर
Published by: Umashankar Mishra
Updated Wed, 03 Jul 2024 08:23 PM IST
सार
इस्राइल को कृषि तकनीक के मामले में एक अग्रणी देश माना जाता है। इस्राइली तकनीक पर आधारित हाइटेक नर्सरी अब यूपी के जिलों में भी स्थापित की जा रही हैं, जिसकी कमान ग्रामीण महिलाओं ने थामी है।
हाइटेक नर्सरी में काम करते हुए ग्रामीण महिलाएं।
- फोटो : शैलेश अरोड़ा
सानों को रोग रहित और गुणवत्ता युक्त पौध मिल सके, इसके लिए उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में दो-दो हाइटेक नर्सरी तैयार की जा रही हैं। ये सभी नर्सरी इस्राइली तकनीक पर आधारित हैं। इनमें कुछ नर्सरी का संचालन शुरू भी हो चुका है। इन हाइटेक नर्सरीज के संचालन की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपी गई है। हाइटेक नर्सरी से अब इन महिलाओं को आमदनी भी होने लगी है। ऐसी ही एक हाइटेक नर्सरी मिर्जापुर में भी शुरू की गई है, जिसकी कमान पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है।
मिर्जापुर में बनी हाइटेक नर्सरी में पौध तैयार कर रही पिपरा गांव की रहने वाली साधिका एक स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। दिसंबर, 2023 से वह इस नर्सरी में काम कर रही हैं। वह बताती हैं, हम लोग ट्रे में बीज लगाकर पौधा तैयार करते हैं। इसे जिस चैम्बर में रखा जाता है, वहां 28-29 डिग्री के आसपास तापमान नियंत्रित किया जाता है। इसे सीड ग्रोइंग चैम्बर कहते हैं। पौधा तैयार हो जाता है तो उसे निकालकर दूसरे चैम्बर में रखते हैं। वहां का तापमान, बाहर के तापमान जैसा रहता है। पौधा तैयार हो जाता है तो किसान को दे देते हैं। आमदनी का 80 फीसदी हिस्सा नर्सरी को चलाने वाले स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को मिल जाता है। बाकी का 20 फीसदी उद्यान विभाग के पास रहता है।
प्रति पौधे पर मिलता है एक रुपया
साधिका बताती हैं, सीजन में जिस तरह से पौधों की मांग बढ़ रही है, प्रत्येक महिला को 10 हजार रुपये प्रतिमाह आमदनी की उम्मीद है। जब किसान अपना बीज देता है, तो उससे पौधा तैयार करने के लिए प्रति बीज पर 1 रुपये मिलते हैं। अगर बीज हमारा हो, तो दो रुपये प्रति पौधा मिलते हैं। अब इस पर फोकस कर रहे हैं कि खुद के बीज से ही पौधा तैयार करके दें, जिससे आमदनी बढ़ेगी। किसान को जिस किस्म के बीज चाहिए, वो बता सकते हैं। हाल ही में, 20 हजार पौधे का ऑर्डर मिला, जिसके लिए हमने बीज भी खुद लगाए हैं।
दूर-दूर से पौधे लेने आते हैं लोग
यहां काम करने वाली गीता बताती हैं, समूह की 10 महिलाएं मिलकर यह नर्सरी चला रही हैं। दूर-दूर से किसान पौध लेने आते हैं। यहां तरबूज, लौकी, मिर्चा समेत कई सब्जियों के पौधे तैयार किए जाते हैं। मिर्जापुर के जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम बताते हैं, यह हाइटेक नर्सरी मनरेगा योजना के तहत बनाकर समूह की महिलाओं को सौंपी गई है। इस्राइली तकनीक पर आधारित यह नर्सरी 1.9 करोड़ रुपये में तैयार हुई है। यहां बिना मिट्टी के पौधे तैयार किए जाते हैं।
योजना के केंद्र में महिलाएं
इस आधुनिक नर्सरी से किसानों के साथ ही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी फायदा हो रहा है। योजना ही ऐसी बनाई है कि नर्सरी की देखरेख के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जिम्मेदारी दी जाए। समूह के सदस्य नर्सरी का काम देखते हैं। पौधों की सिंचाई, खाद-बीज आदि का जिम्मा संभालते हैं। महिलाओं को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। -केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम, उत्तर प्रदेश
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