Home Misal Bemisal Nayi Bayaar Didi Became Self Reliant From Vidyut Sakhi Life Changed After Joining The Group Now Built Her Own House

विद्युत सखी से आत्मनिर्भर बनी दीदी: समूह से जुड़कर बदली जिंदगी, अब बनाया खुद का घर

गांव जंक्शन डेस्क, उन्नाव Published by: Shailesh Arora Updated Wed, 24 Apr 2024 09:18 PM IST
सार

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शेषपुर ग्राम पंचायत की शीला सिंह की जिंदगी में अच्छे दिन तब आए जब स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद विद्युत सखी के रूप में उनका चयन किया गया। आज विद्युत सखी के रूप में 20 हजार रुपये महीना कमा रही हैं। 

विद्युत सखी शीला सिंह
विद्युत सखी शीला सिंह - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनमें विद्युत सखी योजना भी शामिल है, जिसके जरिए एक तरफ महिलाएं सरकारी खजाना भरने में मदद कर रही हैं, तो दूसरी ओर वो खुद भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शेषपुर ग्राम पंचायत की शीला सिंह भी विद्युत सखी के रूप में काम करके आत्मनिर्भर बनी हैं। वह अपनी ग्राम पंचायत के बिजली के बिल समय पर जमा कराने से लेकर कनेक्शन लगवाने जैसे काम करती हैं। इससे उन्हें हर महीने 18-20 हजार रुपये की कमाई हो रही है।  

ऐसे शुरू हुआ विद्युत सखी का सफर
शीला सिंह ने विद्युत सखी के रूप में अपनी मेहनत से एक नई पहचान बनाई है। वह बताती हैं, गांव की कुछ अन्य महिलाओं से स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला था। उन्होंने कहा कि हम समूह बनाकर बचत करते हैं, और छोटे-मोटे काम करते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार भी इसमें मदद करती है। उनकी बात सुनकर हम भी समूह में जुड़ गए और समूह में थैला बनाने का काम शुरू किया। मेरे साथ 30-40 महिलाएं थीं, सब मिलकर काम करते थे, जिससे आमदनी होने लगी। फिर, विद्युत सखी के रूप चयन किया जाने लगा, तो मैंने भी आवेदन कर दिया। मेरा चयन विद्युत सखी के रूप में हो गया, और फिर मैंने गांव-गांव जाकर विद्युत बिल कलेक्शन करने का काम शुरू किया।
 
ऐसे होती है दिन की शुरुआत 
शीला सिंह बताती हैं, शुरुआत में कुछ परेशानी आई थी, क्योंकि लोग पहचानते नहीं थे और कहते थे कि आप कैसे बिल जमा करेंगी! लेकिन, धीरे-धीरे लोग पहचानने लगे। हमारे समूह के अधिकारियों, परिजनों और अन्य महिलाओं ने भी हमारा बहुत सपोर्ट किया। अधिकारियों ने गांव-गांव में कैम्प लगवा हमारा परिचय कराया और लोगों को बताया कि मैं बिलिंग का काम करती हूं। ग्रामीणों को समझाया गया कि आप बिना किसी डर के अपना बिजली का बिल जमा करा सकते हैं। अब तो सब लोग ज्यादातर मुझे पहचान गए हैं। अब तो घर पर सुबह से ही लोग आने लगते हैं और कहते हैं - दीदी मेरा बिल जमा कर लीजिए। सुबह के जरूरी काम निपटाकर कलेक्शन करने घर से निकल जाते हैं। 

ट्रेनिंग से सीखा हुनर
शीला सिंह बताती हैं, विद्युत सखी के रूप में हमारी ट्रेनिंग कराई गई थी, उसमें कलेक्शन करने वाले मोबाइल एप के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी। हमें बताया कि कैसे उपभोक्ता की आईडी फीड करते हैं, कैसे रीडिंग लेनी है और कैसे बिल जमा करना है। शुरुआत में कुछ दिक्कतें होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ सीख लिया और अब आराम से बिल जमा कर लेते हैं, कोई दिक्कत नहीं होती। बिल जमा करने की प्रक्रिया यही है कि हम अपने मोबाइल में उपभोक्ता का खाता नंबर डालते हैं और उनका विवरण सामने आ जाता है। इसमें दर्ज रहता है कि उपभोक्ता क्या नाम है, वह किस गांव का है, कितना पेमेंट जमा करना है, आदि। 

समूह की कमाई से बनाया घर 
शीला सिंह बताती हैं, जब हम समूह में जुड़े, तो थैला बनाने का जो का काम किया, उससे पैसा कमाया। पति ने भी बहुत मेहनत करके पैसा कमाया। इस तरह, पैसे जमा करके घर बनवाया। पहले हम लोग कच्चे घर में रहते थे। अब विद्युत सखी का काम करते हैं, तो कमाई भी बढ़ गई है। अब घर बन गया है अब आगे यही करना है थोड़ा पैसा और कमाना है, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया 
जा सके।

गांव-गांव जाकर करती हैं कलेक्शन
गांव-गांव जाकर जब बिल की रीडिंग ली जाती है, तो शीला सिंह लोगों को यह भी समझाती हैं कि समय पर बिल जमा करना क्यों जरूरी है। वह लोगों को बताती हैं कि समय पर बिल जमा करने पर सरचार्ज से बच जाते हैं और अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता। वह बताती हैं, शुरुआत में 4000-5000 रुपये महीने में कमीशन मिल पाता था। लेकिन, लगातार काम करते रहने से आर्थिक लाभ बढ़ गया है। वह कहती हैं, अब तो 10 से 20 हजार रुपये महीने में आराम से कमा लेते हैं।