Home Misal Bemisal Vishesh Dairy Sector Emphasis On Increasing Milk Productivity Target To Provide One Liter Milk Per Person By The Yea

साक्षात्कार: दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने पर जोर, वर्ष 2047 तक प्रति व्यक्ति एक लीटर दूध उपलब्ध कराने का लक्ष्य

हिमांशु मिश्र, करनाल Published by: Umashankar Mishra Updated Wed, 12 Jun 2024 07:02 PM IST
सार

दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत विश्व में शीर्ष पर है और वर्ष 2047 तक सरकार का लक्ष्य देश में प्रति व्यक्ति एक लीटर दूध उपलब्ध कराने का है। डेयरी क्षेत्र के मुद्दों पर एनडीआरआई के निदेशक के साथ हिमांशु मिश्र की बातचीत के प्रमुख अंश।

वर्ष 2047 तक दुग्ध उत्पादन में बड़ी बढ़त हासिल करने का लक्ष्य।
वर्ष 2047 तक दुग्ध उत्पादन में बड़ी बढ़त हासिल करने का लक्ष्य। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

क्षेत्र की क्या उपलब्धियां हैं और भविष्य के लक्ष्य क्या हैं?डेयरी
वर्ष1950 में, भारत में डेयरी उत्पादन 17 मिलियन टन था, जो बढ़कर 230 मिलियन टन हो गया है। इसमें 1200 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक दशक से भी ज्यादा समय से हम नंबर वन हैं। पिछले नौ सालों में दुग्ध उत्पादन लगभग 57 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2022-23 में 460 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, जो नौ साल पहले 303 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी। दूध की उपलब्धता बढ़ने से भारतीयों के खानपान के तरीके में भी बदलाव आने लगे हैं। 

वर्ष 2047 तक, हर दिन प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़ाकर एक लीटर तक लाने की कोशिश है। इसके लिए, दुग्ध उत्पादन को वर्ष 2047 तक बढ़ाकर 660 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। भारत में प्रत्येक वर्ष दुग्ध उत्पादन 5.9 प्रतिशत से ज्यादा की दर से बढ़ रहा है। जबकि, विश्व में दूध की औसत वृद्धि दर मात्र दो प्रतिशत प्रतिवर्ष है। यह विश्व औसत से करीब तीन गुना अधिक तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष 2013-14 के दौरान देश में 1463 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था। यह 2022-23 में बढ़कर 2306.0 लाख टन हो गया है। यह आजादी के बाद से दुग्ध उत्पादन में यह सबसे अधिक वृद्धि है।

वर्ष 2047 तक दुग्ध उत्पादन कैसे बढ़ाएंगे?
अभी एक अध्ययन किया गया था कि कैसे 2047 तक देश में दुग्ध उत्पादन 660 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि एनडीआरआई ने बहुत-सी तकनीक तैयार की हैं। इन तकनीकों का प्रयोग कर आसानी से हम दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी बढ़त हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को भी पूरा कर लेंगे।

पशुपालन के क्षेत्र में कौन-सी नई तकनीक आ रहीं हैं?
पशुपालन के क्षेत्र में कई एडवांस तकनीक आ चुकी हैं। कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। आईवीएफ, लिंग सॉर्टेड सीमेन, आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन (AI) जैसी तकनीक आ चुकी हैं। एआई को एक प्रतिशत बढ़ाएं तो दुग्ध उत्पादन में करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी। हमारे वैज्ञानिकों ने अच्छी क्वालिटी के सीमेन तैयार किए हैं, जिसे पूरे देश में भेजेंगे। इसके प्रयोग से बेहतर नस्ल की गाय और भैंसें तैयार होंगी, जो दुग्ध उत्पादन में बेहतर होने के साथ बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम होंगी। इसी तरह, ऐसे बुल तैयार किए जा रहे हैं, जिनके सीमेन से अच्छे नस्ल के पशु पैदा हो सकें। प्रोजनिंग टेस्ट से भारत में एक बुल तैयार करने में 10 से 12 साल लग जाते थे। अब उसी बुल को एक साल में क्लोन के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। आईवीएफ टेक्नोलॉजी को भारत सरकार ने अडॉप्ट करके देशभर में 30 सेंटर्स बनाए हैं।

जीन एडिटिंग की तकनीक कैसे उपयोगी हो रही है?
जीन एडिटिंग एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है, जिसकी मदद से अब मवेशियों की जलवायु के प्रति लचीली नस्लें तैयार की जा रही हैं। इसमें पशुओं के जीन को एडिट करके दूसरे भ्रूण तैयार करते हैं। यह तकनीक सुरक्षित भ्रूणों को चुनने और स्थानांतरित करने की सुविधा देती है, जिससे आनुवांशिक बीमारियों या क्रोमोसोमल समस्याओं के बच्चे में स्थानांतरित होने की संभावना कम हो जाती है। आनुवंशिक विविधता को जीवित रखने के लिए भ्रूण स्थानांतरण तकनीक बहुत महत्वपूर्ण है। सरल शब्दों में समझें तो एक पशु की खासियत का प्रयोग करके दूसरे पशु को तैयार करते हैं और फिर उस पशु में अन्य खूबियां भी आ जाती हैं।
प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2022-23 में 460 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, 1 लीटर करने का लक्ष्य है।
प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2022-23 में 460 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, 1 लीटर करने का लक्ष्य है। - फोटो : गांव जंक्शन
भारत के दुग्ध उत्पादों की डिमांड विदेशों में कैसी है?
भारत के दूध और दुग्ध उत्पादों की विदेशों में भी मांग बढ़ने लगी है। लगभग डेढ़ सौ देशों में भारत के डेयरी प्रोडक्ट की मांग है। पिछले वर्ष 2022-23 में 65 लाख टन डेयरी प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है। हां, यह जरूर है कि अभी इसकी मात्रा बहुत अधिक नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहला यह कि भारत में ही दूध की खपत काफी अधिक है। हमारे यहां अभी भी पर्याप्त मात्रा में बच्चों और अन्य लोगों को दूध नहीं मिल रहा है। दूध पोषण का अच्छा स्रोत है। प्रोटीन, कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा इसमें होती है। ऐसे में, सरकार का लक्ष्य है कि पहले भारत के प्रत्येक नागरिक को उचित मात्रा में दूध मिले। इसके बाद, जो उत्पादन होगा, उसे विदेशों में सप्लाई किया जा सकेगा।

पशुपालन और डेयरी क्षेत्र से जुड़ी सरकार की क्या-क्या योजनाएं हैं?
राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत अब तक 6.21 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है, 7.96 करोड़ पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया और 4.118 करोड़ किसानों को इस कार्यक्रम के तहत लाभ हुआ। देश में आईवीएफ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत, अब तक विकसित सक्षम 19,124 भ्रूणों में से 10,331 भ्रूण स्थानांतरित किए गए और 1621 बछड़ों या बछिया का जन्म हुआ। केवल 90 प्रतिशत मादा बछड़े पैदा करने के लिए देश में लिंग चयनित वीर्य उत्पादन भी शुरू किया गया है। कार्यक्रम के तहत, सुनिश्चित गर्भावस्था पर 750 रुपये या लिंग चयनित वीर्य की लागत का 50 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को दी जाती है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने स्वदेशी नस्लों के विशिष्ट पशुओं के चयन के लिए इंडसचिप (INDUSCHIP) विकसित की है और निर्दिष्ट आबादी बनाने के लिए चिप के उपयोग से 28,315 पशुओं की जीनोमिक संरचना को उजागर किया गया। दुनिया में पहली बार, भैंसों के जीनोमिक चयन के लिए बफचिप (BUFFCHIP) विकसित किया गया है और अब तक, रेफरल आबादी बनाने के लिए 8000 भैंसों की जीनोमिक संरचना का खुलासा किया गया है।

गोधन, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर सहित 53.5 करोड़ जानवरों की पहचान और पंजीकरण 12 अंकों के यूआईडी नंबर के साथ पॉलीयुरेथेन टैग का उपयोग करके किया जा रहा है। वंश परीक्षण और नस्ल चयन हो रहा है। इसमें गिर, साहिवाल जैसी देसी गाय की नस्लें और मुर्रा, मेहसाणा जैसी देसी नस्ल की भैंसों के लिए संतान परीक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है।

पशुपालन और डेयरी विभाग ने एनडीडीबी के साथ एक डिजिटल मिशन, राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन शुरू किया है। इससे पशुओं की उत्पादकता में सुधार, पशुओं और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करने वाली बीमारियों के नियंत्रण, घरेलू और निर्यात बाजारों दोनों के लिए गुणवत्तापूर्ण पशुधन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

देश की अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र का कितना योगदान है?
अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र का 5 प्रतिशत योगदान है। यह लगभग आठ करोड़ लोगों के रोजगार का साधन है। दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और डेयरी को अधिक लाभकारी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। नई योजना से देसी नस्लों के पशुओं की संख्या और दूध की उपलब्धता में वृद्धि इसी का परिणाम है।

क्या पशुपालन क्षेत्र का दायरा आने वाले समय में बढ़ने वाला है?
20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 303.76 मिलियन गोवंश (गोधन, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियां, 9.06 मिलियन सूकर और लगभग 851.81 मिलियन मुर्गियां हैं। आंकड़ों को देखें तो स्थिति साफ है कि देश में पशुपालन का दायरा काफी तेजी से बढ़ रहा है।