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Explained: सरकार ने जरूरत से ज्यादा किसानों से क्यों खरीदा चावल, इसका क्या होगा? जानें सबकुछ

गांव जंक्शन डेस्क, नोएडा Published by: Himanshu Mishra Updated Sun, 09 Jun 2024 02:46 PM IST
सार

2023-24 में तीसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक पश्चिम बंगाल में खरीफ में उगाए गए धान की खरीद 31 मई को समाप्त हो गई और केंद्र 2022-23 में 0.5 मीट्रिक टन के मुकाबले केवल 0.8 मीट्रिक टन ही खरीद सका। पश्चिम बंगाल में इस साल 1.2 मीट्रिक टन चावल खरीदने का लक्ष्य था, जबकि सरकार ने 2022-23 में 2.2 मीट्रिक टन खरीदा था।

चावल
चावल - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार
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2023-24 सीजन (अक्तूबर-सितंबर) में केंद्र सरकार के बफर स्टॉक के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा चावल की खरीद 31 मई तक 50.09 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गई है। ये एफसीआई की जरूरत से करीब 10 मीट्रिक टन अधिक है। हालांकि, पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो चावल की खरीदी में गिरावट दर्ज हुई है। इस बार हुई खरीदारी अधिकांश राज्यों में गिरावट के कारण एक साल पहले की अवधि में खरीदे गए 53.11 मीट्रिक टन से 5.7 प्रतिशत कम है। 

खाद्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 सीजन में खरीफ की फसल से 46.21 मीट्रिक टन और रबी की फसल से 3.89 मीट्रिक टन चावल खरीदा गया है। असम को छोड़कर सभी राज्यों में खरीफ में उगाए गए धान की खरीद पहले ही पूरी हो चुकी है, जहां यह 30 जून तक जारी रहेगी।

सरकार ने 2023-24 के लिए खरीफ में उगाई गई फसल से 52.49 मीट्रिक टन और रबी सीजन से 10.32 मीट्रिक टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि खरीफ सीजन से खरीद में लगभग छह मीट्रिक टन की कमी है, जिसे पूरा किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि असम ने अब तक आधिकारिक खरीद में 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, लेकिन अखिल भारतीय रबी सीजन की खरीद अच्छी दिख रही है।

 
कितनी जरूरत है?
पिछले साल अप्रैल-मई में खरीदे गए 3.6 मीट्रिक टन चावल के मुकाबले सरकार ने रबी सीजन की फसल से लगभग 3.9 मीट्रिक टन चावल खरीदा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत जनता के लिए चलाए जा रहे सभी कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए सरकार को सालाना 40-41 मीट्रिक टन चावल की आवश्यकता होती है। 

सूत्रों ने बताया कि एक अक्तूबर, 2023 को भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास चावल (चावल के मामले में धान सहित) का शुरुआती स्टॉक 31.5 मीट्रिक टन था, इसलिए आवश्यकता से अधिक खरीदी गई अतिरिक्त मात्रा एक मजबूत बफर बनाने के लिए पर्याप्त होगी, जो लगभग 43-44 मीट्रिक टन हो सकती है। 2022-23 में खरीफ, रबी और जायद सभी मौसमों से केंद्र की कुल चावल खरीद 56.87 मीट्रिक टन थी।

 
तेलंगाना सबसे बड़ा उत्पादक
2023-24 में तीसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक पश्चिम बंगाल में खरीफ में उगाए गए धान की खरीद 31 मई को समाप्त हो गई और केंद्र 2022-23 में 0.5 मीट्रिक टन के मुकाबले केवल 0.8 मीट्रिक टन ही खरीद सका। पश्चिम बंगाल में इस साल 1.2 मीट्रिक टन चावल खरीदने का लक्ष्य था, जबकि सरकार ने 2022-23 में 2.2 मीट्रिक टन खरीदा था।

इस साल तेलंगाना 16.63 मिलियन टन के अनुमानित उत्पादन के साथ देश का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बन गया है, जबकि केंद्र ने 10 मिलियन टन का लक्ष्य रखा था, जिसमें खरीफ और रबी सीजन से 5-5 मिलियन टन शामिल थे। 

खरीफ की फसल से केंद्र राज्य से केवल 3.17 मिलियन टन चावल ही खरीद सका, जबकि रबी की फसल से 31 मई तक 2.53 मिलियन टन (चावल के संदर्भ में) खरीदा जा चुका है। कुल खरीद पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 11.6 प्रतिशत कम है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना के अलावा, आंध्र प्रदेश में 0.49 मिलियन टन, केरल में 0.2 मिलियन टन, ओडिशा में 0.25 मिलियन टन और तमिलनाडु में 0.41 मिलियन टन रबी उगाए गए चावल की खरीद दर्ज की गई है।