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World Environment Day: जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक बनी तकनीक, सैटेलाइट डाटा से मिल रही मुनाफे की फसल

गांव जंक्शन डेस्क, बेंगलुरु Published by: Umashankar Mishra Updated Wed, 05 Jun 2024 01:21 PM IST
सार

अपने दो दशकों के अनुभव के साथ आंध्र प्रदेश के किसान लोकेश्वर रेड्डी पृथ्वी-अवलोकन उपग्रहों (earth-observation satellites) की बदौलत अपनी फसलों को एक बार फिर फलते-फूलते देख रहे हैं। करीब 52 वर्षीय रेड्डी, जो वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कंपनी सिंजेंटा के साथ कांट्रैक्ट पर जुड़े किसान हैं। 

स्टार्टअप्स कर रहे स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग।
स्टार्टअप्स कर रहे स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग। - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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अपने दो दशकों के अनुभव के साथ आंध्र प्रदेश के किसान लोकेश्वर रेड्डी पृथ्वी-अवलोकन उपग्रहों (earth-observation satellites) की बदौलत अपनी फसलों को एक बार फिर फलते-फूलते देख रहे हैं। करीब 52 वर्षीय रेड्डी, जो वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कंपनी सिंजेंटा के साथ कांट्रैक्ट पर जुड़े किसान हैं। 

रेड्डी बताते हैं, बदलते जलवायु पैटर्न, उच्च इनपुट लागत, श्रम की कमी और अनियमित मौसम ने लगभग 10 साल पहले उनकी कमाई को बाधित करना शुरू कर दिया था। सिंजेंटा द्वारा उन्हें भारतीय स्टार्टअप क्रॉपिन द्वारा एकत्र और संकलित किया गया सैटेलाइट डाटा प्रदान किया गया। अब उन्हें बुवाई का सही समय, मौसम की चेतावनी और सिंचाई एवं कीटनाशकों के बेहतर उपयोग की जानकारी मिलती रहती है।

कीट, रोगों, सिंचाई की शेड्यूलिंग में मददगार 
रेड्डी ने कहा कि पिछले दशक में, दक्षिणी भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में अपने खेत में मक्के की फसल पर उनका शुद्ध लाभ 5,000 - 10,000 रुपये से बढ़कर 20,000 रुपये प्रति एकड़ हो गया है। उन्होंने कहा, "जब कृषि पद्धतियों की बात आती है तो हम खुद को बेहतर स्थिति में पाते हैं; (सैटेलाइट डाटा का उपयोग) हमें जलवायु परिवर्तन, कीट एवं बीमारी, सिंचाई शेड्यूलिंग की समस्याओं से बचाता है।"

कृषि में डाटा उपयोग की अपार संभावनाएं 
भारत सरकार, जिसने हाल ही में अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश नियमों में ढील दी है, जमीनी समस्याओं को हल करने के लिए उपग्रह डाटा के उपयोग पर जोर दे रही है, जिसमें कृषि पर मुख्य फोकस है। रॉयटर्स ने 11 विशेषज्ञों और किसानों, उद्योग में छह स्टार्टअप और तीन गैर सरकारी संगठनों से बात की, जिन्होंने कहा कि भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और बिग डाटा मददगार हो सकते हैं।

देश की अंतरिक्ष नियामक संस्था, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष पवन गोयनका कहते हैं, "नई अंतरिक्ष दौड़ में नेतृत्व के लिए भारत का मार्ग डाटा की शक्ति का उपयोग करने में निहित है और कृषि क्षेत्र के भीतर अनुप्रयोग अपार संभावनाएं प्रदान करते हैं।"

भारत स्थित डाटा विश्लेषण फर्म मार्केट रिसर्च फ्यूचर का कहना है कि वैश्विक अंतरिक्ष कृषि बाजार वर्ष 2032 तक 11.51 अरब डॉलर का हो जाएगा, जो वर्ष 2023 में 4.99 अरब डॉलर से कहीं अधिक होगा। हालांकि, चीन के पास सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी है, लेकिन भारत में यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। 

30 हजार से अधिक भूखंड हुए डिजिटल 
वर्ष 2010 में स्थापित और गूगल तथा गेट्स फाउंडेशन दोनों द्वारा समर्थित क्रॉपिन ने हाल ही में वैश्विक खाद्य असुरक्षा के समाधान के लिए सैटेलाइट डाटा का बेहतर उपयोग करने के लिए अमेजॉन वेब सर्विसेज के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

वर्ष 2019 में कंपनी की परियोजना के विश्लेषण से पता चलता है कि 244 गांवों में किसानों, विश्व बैंक और भारत सरकार के साथ क्रॉपिन की साझेदारी ने 30,000 से अधिक कृषि भूखंडों को डिजिटल किया है, जिसमें विभिन्न जलवायु-क्षेत्रों में 77 फसल किस्मों को शामिल किया गया है। अध्ययन से पता चला कि इसमें शामिल 92 फीसदी किसानों की औसत उपज में 30 फीसदी और उनके कृषि राजस्व में लगभग 37 फीसदी की वृद्धि हुई है। कंपनी को अफ्रीका में भी ऐसे ही नतीजे मिले हैं। 

फसल बीमा और बागवानी के लिए उपग्रह डाटा
डेलॉइट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि क्रॉपिन और अन्य हितधारक एक उभरते हुए क्षेत्र से खेती में लाभ प्राप्त कर रहे हैं। फसल बीमा और बागवानी के लिए उपग्रह डाटा के उपयोग से अगले 5 वर्षों में लगभग 1.35 अरब डॉलर की बाजार क्षमता विकसित हो सकती है।

बेरिंग प्राइवेट इक्विटी समर्थित सैटश्योर, एक अन्य भारतीय स्टार्टअप, ऋण विश्लेषण को सूचित करने के लिए पृथ्वी अवलोकन डाटा का उपयोग कर रहा है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतीप बसु कहते हैं, देश में लगभग 70 मिलियन सक्रिय किसान बैंक खाते हैं, जो कुल खातों का लगभग 38 फीसदी प्रतिनिधित्व करते हैं। 

स्टार्टअप्स कर रहे स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग 
भारत में 2,743 कृषि तकनीक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कई उपग्रह डाटा या अन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। वर्ष 2021 में, इन कंपनियों की फंडिंग 1.3 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई; कंपनियों ने वर्ष 2023 में 394.4 मिलियन डॉलर और 2024 में अब तक 136.7 मिलियन डॉलर जुटाए।

हालांकि, कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर अपनाने में कुछ बाधाएं भी हैं। भारत में किसानों की औसत भूमि का आकार सिर्फ 1.08 हेक्टेयर है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना कि यह स्थिति, गरीबी और साक्षरता के निम्न स्तर के साथ, तकनीक को अपनाने के लिए चुनौतियां पैदा करती है।

सिन्जेंटा के प्रबंधक, रघुनाथ रेड्डी ने कहा, "कृषि कभी भी तकनीकी रूप से आगे बढ़ने वाला क्षेत्र नहीं रहा है और अक्सर किसान पारंपरिक प्रथाओं या अपने पूर्वजों के ज्ञान पर अधिक भरोसा करते रहे हैं।" वहीं, मैकिन्से का कहना है कि भारत में कृषि प्रौद्योगिकी के उपयोग से किसानों की आय 25 से 35 फीसदी तक बढ़ सकती है। 

भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2023 के बजट भाषण में, एग्रीटेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 703 मिलियन रुपये के एक्सेलेरेटर फंड की घोषणा की थी। मार्च 2023 में, सरकार ने कहा कि फंड 1,138 ऐसी कंपनियों का समर्थन कर रहा है।

रेड्डी जैसे किसानों के जीवन में कृषि तकनीक बदलाव लेकर आई है और उनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने एक कार खरीदी है और शहर में एक नया घर भी खरीदा है। रेड्डी कहते हैं, "कमाई में इस बढ़ोतरी का मतलब मेरे बेटे के लिए बेहतर शिक्षा भी है, जिसकी विदेश, अमेरिका या लंदन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की योजना है। आखिरकार, हम अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य चाहते हैं।"